ज़ख्म बहुत गहरा है
पहले नीला अभी हरा है
पकने पर ये सुनहरा है
हर पल ज़ख्म रंग-भरा है
ज़ख्म बहुत गहरा है .......
कितना रंगीन है ये ज़ख्म
करता गमगीन है ये ज़ख्म
हकीकत में संगीन है ये ज़ख्म
शायद ये सिरफ़िरा है
ज़ख्म बहुत गहरा है.......,....
कभी यादों की बारातों से
कभी इश्क की मातों से
कभी दिल की टूटी बातों से
हर बार ये ज़ख्म उभरा है
ज़ख्म बहुत गहरा है.........
क्या ज़ख्म दर्द की पहचान है ?
या ज़ख्म दर्द-ए-दास्तान है ?
पर मेरे लिए तो मेरा ज़ख्म
"जीत" कर भी हार का पैगाम है.
ज़ख्म जिताकर हराने का मोहरा है......
ज़ख्म बहुत गहरा है..........
जो अब तलक नहीं भरा है........
ज़ख्म बहुत गहरा है.........
पहले नीला अभी हरा है
पकने पर ये सुनहरा है
हर पल ज़ख्म रंग-भरा है
ज़ख्म बहुत गहरा है .......
कितना रंगीन है ये ज़ख्म
करता गमगीन है ये ज़ख्म
हकीकत में संगीन है ये ज़ख्म
शायद ये सिरफ़िरा है
ज़ख्म बहुत गहरा है.......,....
कभी यादों की बारातों से
कभी इश्क की मातों से
कभी दिल की टूटी बातों से
हर बार ये ज़ख्म उभरा है
ज़ख्म बहुत गहरा है.........
क्या ज़ख्म दर्द की पहचान है ?
या ज़ख्म दर्द-ए-दास्तान है ?
पर मेरे लिए तो मेरा ज़ख्म
"जीत" कर भी हार का पैगाम है.
ज़ख्म जिताकर हराने का मोहरा है......
ज़ख्म बहुत गहरा है..........
जो अब तलक नहीं भरा है........
ज़ख्म बहुत गहरा है.........
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