Tuesday 8 October 2013

**जवाँ दिल है,धड़कने दो |**


जवाँ दिल है, धडकनें भी,
ये धड़केंगी,
धड़कने दो |
नसों में लावा बहता है,
लहू बन के,
फड़कने दो ||

वतन के काम आएगा,
हर एक कतरा,
एक-एक बूँद ,
बंधी बेड़ी-जंज़ीरों को,
हौंसलों से,
तड़कने दो ||

उठो जागो कमर बाँधो,
विजय पथ पे,
अग्रसर हो |
खटकते हो गर दुश्मन की,
आँखों में,
खटकने दो || 

नफ़रत की आँधियों में,
गोलियों की,
हैं बौछारें |
शहादत की बिजलियों को,
आज खुल के,
कड़कने दो ||

सलामी सौ सौ तोपों की,
याद में,
वीर शहीदों की
हिन्द के नौजवानों की,
बुलंद होकर,
गरजने दो ||


जवाँ दिल है धडकनें भी,
ये धड़केंगी,
धड़कने दो |
नसों में लावा बहता है,
लहू बन के,
फड़कने दो ||

No comments:

Post a Comment