**तुम्हारा नाम भी आयेगा मेरे नाम से पहले**
ढलेगी रात अब हर रोज़ जामे शाम से पहले,
करूँगा याद मैं तुझको मेरे हर काम से पहले
ढलेगी रात अब हर रोज़ जामे शाम से पहले,
करूँगा याद मैं तुझको मेरे हर काम से पहले
तेरा दीदार बस इक बार हो तो चाँद हम भूलें,
जहाँ भर की हँसी दे दूँ ग़मे पैग़ाम से पहले
जहाँ भर की हँसी दे दूँ ग़मे पैग़ाम से पहले
खता की थी कोई या भूल थी जो हो गई शायद,
ख़ुदा पूछे मुझे मेरे हरेक इल्जाम से पहले
ख़ुदा पूछे मुझे मेरे हरेक इल्जाम से पहले
गुनाह लाखों किये मैंने मगर सारे तेरे सदके,
तुम्हारा नाम भी आयेगा मेरे नाम से पहले
तुम्हारा नाम भी आयेगा मेरे नाम से पहले
अगर नाराज़ हो जाओ कभी भी “जीत” से जाना,
सलामत हौंसला रखना पिघलती शाम से पहले
सलामत हौंसला रखना पिघलती शाम से पहले
जितेन्द्र "जीत"